बुधवार, 24 मार्च 2010

यूपी : साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी बिल बना अल्पसंख्यकों को लुभाने का नया मुद्दा

उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक पर गिद्ध दृष्टि लगाए राजनीतिक दलों को साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक के रूप में एक नया मुद्दा मिल गया है। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने इस विधेयक के विरोध में आवाज क्या उठाई, सपा ने इस मुद्दे को कांग्रेस के खिलाफ एक हथियार के रूप में लपक लिया है।

ज्ञातव्य हो कि साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक के जरिए पुलिस को बहुत ज्यादा अधिकार दिए जा रहे हैं, जिसके कारण पर्सनल ला बोर्ड विधेयक का विरोध कर रहा है। बोर्ड का कहना है कि इन अधिकारों का दुरुपयोग हो सकता है।

हालांकि, दंगों और अन्य घटनाक्रमों के दौरान पुलिस का जो रवैया रहा है, उसको देखते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा विधेयक का विरोध जायज ही कहा जा सकता है।

लेकिन मुस्लिम पर्सनल बोर्ड द्वारा दिल्ली में बुलाये जाने वाले सांसदों के सम्मेलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए, जिस प्रकार सपा और कांग्रेस एक दूसरे से पीछे नहीं रहना चाहते, उसको देख कर तो यही कहा जा सकता है कि वे विधेयक का विरोध कम बल्कि मुसलमानों को अपनी ओर लुभाने में ज्यादा लगे हैं।

सपा ने अपने सभी सांसदों को सम्मेलन में शामिल होने का निर्देश जारी किया है। सपा का कहना है कि प्रस्तावित विधेयक के खिलाफ सम्मेलन में उसके सभी सांसद शामिल होंगे, और इसको किसी भी सूरत में पारित नहीं होने दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि सपा लोकसभा चुनावों में अपने खराब प्रदर्शन से बेचैन है। ऐसा माना जाता है कि उसका परम्परागत मुस्लिम मतदाता कांग्रेस में चला गया।

उधर कांग्रेस अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए मुसलमानों को लुभाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चहती। उसके नेता मुसलमानों की नाराजगी को दूर कर उन्हें अपने हाथ के साथ लाने के लिए आजमगढ़ से गोरखपुर तक की यात्राएं कर रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह आजमगढ़ के संजरपुर गांव जाकर उन परिवारों से भी मिल चुके हैं, जिनके लड़कों को देश के प्रमुख आतंकवादी गतिविधियों में शामिल बताया जाता रहा है।

हालांकि, कांग्रेस की झोली में हिंदुओं की कीमत पर मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट पहले से ही मौजूद है।

शायद यही कारण है कि कांग्रेस के मुस्लिम लगाव की काट के लिए सपा द्वारा महिला आरक्षण में मुस्लिम महिलाओं को अलग से कोटा तय किये जाने का मुद्दा बेहद जोर-शोर से उठाया गया।

इसी दौरान लखनऊ में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने अपने तीन दिवसीय अधिवेशन में मुसलमानों से जुड़े तीन मुद्दों-साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी बिल, इजरायल से दोस्ती और लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार के रवैये से नाखुशी जाहिर की।

सपा नेता एवं विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने कहा कि पर्सनल ला बोर्ड द्वारा उक्त तीनों मुद्दों पर जो राय जाहिर की गई है, वे उसका पूर्ण समर्थन करते हैं।

उन्होंने कहा कि सपा कांग्रेस के किसी भी मुस्लिम विरोधी साजिश को सफल नहीं होने देगी। कांग्रेस मुसलमानों की हिमायती कभी हो ही नहीं सकती। उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक किसी भी हाल में पास नहीं होने दिया जाएगा।

जानकारी के अनुसार, जल्द ही कांग्रेस के कुछ बड़े नेता दिल्ली में पर्सनल ला बोर्ड के नेताओं से मिलकर जिन मुद्दे पर भी कोई गलतफहमी होगी, उसे दूर करेंगे।

हालांकि, कांग्रेस ने पर्सनल ला बोर्ड द्वारा बुलाए जाने वाले सांसदों के सम्मेलन में अपने सांसदों के शामिल होने को लेकर अपना रुख अभी स्पष्ट नहीं किया है। सम्भवत: प्रधानमंत्री और कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात के बाद इस तरह के सम्मेलन के आयोजन की कोई आवश्यकता ही न रह जाए। उस स्थिति में सपा को धीरे का झटका जोर से लगेगा।

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